झूठी दावत

                        

                                         झूठी दावत

एक गांव था। उस गांव में बहुत एकता थी उसी गांव में दो लड़के रहते थे। जिनका नाम सोहन और मोहन था। वे दोनों बाहर शहर पढ़ने गए थे। 

                                                    


एक दिन गांव में कुछ लोग आये उनको गांव में देख कर गांव के सरपंच ने पूछा आप लोग किसलिए आये हो। तो उन्होंने कहा की वे कहीं दूर जा रहे थे

            

तो विश्राम करने के लिए आपके गांव रुकना चाहते है। अगर आप अनुमति दे तो हम कुछ दिन विश्राम करना चाहते है

सरपंच ने गांव के लोगो से पूछ कर उनको वहां कुछ दिन रहने की अनुमति दे दी। वे लोग गांव में एक किनारे अस्थायी घर बना के रहने लगे। 

एक दिन उन लोगो ने गांव में एक भोज आयोजन किया और सभी गांव वालो को न्योता दिया और कहा कोई भी व्यक्ति बच्चा बूढ़ा बिना भोजन के छूटने न पाये।
सभी गांव वाले खुश थे।

अगले दिन सभी दावत पर पहुंचे सभी लोग एक साथ बैठ गए।एक से एक पकवान बना हुआ था सबको भोजन खिलाया। 

 उधर सोहन और मोहन भी गांव आ रहे थे। 
जब वे दोनों गांव में घुसे तो उन्होंने देखा की गांव में कोई नजर नहीं आ रहा वे सोचने लगे की ऐसा कैसे हो सकता सब कहाँ जा सकते है। वे दोनों ढूंढते हुए वहां पहुंचे जहां भोज हो रहा था।
वे देखकर चौंक गए कि सभी लोग बेहोश पड़े थे। उन्हें शंका हुई। वे ढूंढ ही रहे थे।उन्हें एक घर का दरवाजा खुला दिखा वहां गए 



                  तो अंदर वो लोग चोरी कर रहे थे। सोहन मोहन ने उन्हें रंगे हाथो पकड़ लिया। तभी उन्होंने पुलिस को सूचना दी। और उन्हें पकड़वा दिया। 
                                      

ये सब गांव वालो को पता चला तो उन्होंने सोहन मोहन की खूब सराहना की और उन्हें इनाम भी दिया।


शिक्षा : -  अजनबी लोगो पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।  


-Vipin Kumar


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