बुद्धिमान गिरधर

एक आश्रम था वहां गुरु जी और उनके बहुत से शिष्य रहते थे। उन शिष्यों में तीन बालक जिनका नाम आशु, गिरधर और चंदन भी थे । वे तीनो साथ रहते थे गुरु जी उनको शिक्षा देते थे तो भी वे तीनो साथ बैठ कर शिक्षा ग्रहण करते थे। गिरधर उनमे शांत स्वाभाव का था वो किसी से ज्यादा मतलब नहीं रखता था । उसके दोनों साथी उसका मजाक बनाया करते थे। ये बात गुरु जी को भी पता थी की वे दोनों उसके साथ सही व्यवहार नहीं करते थे और वो ये भी जानते थे की इन तीनो में सबसे बुद्धिमान गिरधर ही है 




एक दिन गुरु जी ने उनकी परीक्षा लेनी चाही उन्होंने तीनो को अकेले में बुलाया और कहा की मैं तुम तीनो की एक परीक्षा लेता हूँ जो भी इस परीक्षा में सफल होगा उसे ही पुरस्कृत किया जायेगा तथा उसको सर्वश्रेष्ठ माना जायेगा  जाओ बच्चो तुम तीनो जंगल में जाओ और और इतनी लकड़ी लेके आओ जो कई वर्षो तक चले परन्तु ध्यान रहे तुम तीनो साथ नहीं जाओगे बल्कि अलग अलग दिशाओ में जाओगे

गुरु जी उन तीनो को अलग अलग दिशाओ में भेज देते है। परीक्षा में सफल होने के लिए वे तीनो गुरूजी की आज्ञा मानकर अपने लक्ष्य की और निकल पड़ते है। इधर गुरु जी उनको शुभकानाएं देते हुए आश्रम के काम में लग जाते है।

कुछ समय बाद तीनो वापस आ जाते है । तीनो गुरु जी से मिलते है तो वे तीनो उनको आश्रम से बाहर जहाँ वो लकड़ियाँ लाकर रखी है, ले जाते है तो सबसे पहले चंदन अपनी लायी हुई लकड़ी दिखता है वो कुछ लकड़ी लाया था और गुरूजी से कहता है कि गुरूजी अगर हम प्रतिदिन एक एक लकड़ी खर्च करेंगे तो ये कई वर्षो तक चलेंगी गुरूजी मुस्कुरा देते है

फिर आशु भी दिखता है वो बहुत सारी लकड़ियाँ लाया था जिन्हे देखकर लग रहा था कि वे कई एक दो वर्ष तक चल जाएँगी गुरूजी भी आश्चर्यचकित हो गए की इतनी सारी लकड़ी कैसे लाया। फिर गिरधर से पूछा तुम क्या लाये हो तो गिरधर एक हरा पौधा गुरूजी को दे देता है। और कहता है कि ये पौधा आश्रम में लगाऊंगा और नित्य जल दूंगा। ये पौधा हमे वर्षो तक लकड़ियाँ देगा ये सुनकर गुरूजी प्रसन्न हुए  और कहने लगे कि गिरधर सत्य कह रहा है ये लकड़ियाँ तो जल्द ही समाप्त हो जाएंगी लेकिन पौधे कि परवरिश करके हए हमे वर्षो तक लकड़ियाँ प्रदान करेगा।

इस प्रकार गिरधर को पुरुस्कृत करके गुरूजी ने तीनो को आशीर्वाद दिया और कहा सदैव एकमत रहना।

 


शिक्षा : बुद्धिमान व्यक्ति समय आने पर अपने काम से परिचय कराता है वो किसी को कम दिखाकर स्वयं को बुद्धिमान नहीं दिखाता।

                                                                                                                    -Vipin Kumar


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