मैं हिन्दी


                             

                                                -:  मैं हिन्दी  :-


मैं हिंदी हमेशा इतनी सरल रही

फिर क्यों मुझे अपनाने में परहेज कई


हर भाषा में मूल वर्ण मेरी रचना भई 

अनदेखा मुझको कर रहे बस विडंबना यही

मैं हिंदी हमेशा इतनी सरल रही

फिर क्यों मुझे अपनाने में परहेज कई


हर भारतवासी के दिल में मैं, पर जुबान नहीं 

मेरा प्रचार करने में तुम्हारा तो कोई एहसान नहीं

मैं हिंदी हमेशा इतनी सरल रही

फिर क्यों मुझे अपनाने में परहेज कई


राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला पर मिला ना सम्मान सही

हो हर भाषा इस धरा पर, मैं ही मैं हूं ऐसा भी कोई अरमान नहीं

मैं हिंदी हमेशा इतनी सरल रही

फिर क्यों मुझे अपनाने में परहेज कई...




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