शहर में एक जगह कुछ घर बसे थे। उन परिवारों में कुछ छोटे छोटे बच्चे रहते थे। वे सभी बच्चे आपस में दोस्त थे और स्कूल से आने के बाद वे सभी उनके पड़ोस में लगा एक पेड़ जो ठंडी छाँव देता था उसके नीचे खेलते थे ।
वो पेड़ ना सिर्फ ठंडी छाँव देता था बल्कि फल भी देता था वो बच्चे भी उस पेड़ को अपना दोस्त मानते थे। बरसात के दिनों में जब वो सब खेलने आते थे तो ठंडी हवा में वो पेड़ ऐसे लहराता था मानो वो भी उनके साथ खेल रहा हो।
वे बच्चे उस पेड़ की टहनियां पकड़कर झूलते और आनंद लेते। और जब गर्मी होती तो वे अपने घर से पानी लाते और उसमे डालते । ये सब देखकर उनके घर वाले कहते की अरे बेटा इतने से पानी से इतने बड़े पेड़ का कुछ नहीं होने वाला है तो वो बोलते कि आप लोग ही तो कहते हो थोड़ा थोड़ा से ज्यादा बनता है जब थोड़ा थोड़ा सब डालेंगे तो उसकी प्यास ज़रूर बुझ जाएगी। एक दिन पक्षी आये और उस पर घोसला बनाया अब वे उन पक्षियों की भी देखभाल करने लगे।
ऐसे ही समय बीतता गया।
कुछ समय बाद वे सब बड़े हो गए थे और अपने अपने काम करने लगे, कमाने लगे।
एक दिन सूचना मिली कि जिस जमीन पर वो पेड़ है उस जमीन पर सोसायटी बसने वाली है। जो लोग वह पर रहते है परेशान हो गए, उन्होंने ही ये सूचना उन लड़को को दी थी।
अब सब लड़के सोचने लगे कि हमने जहां अपना बचपन बिताया है उस जगह को उस पेड़ को कैसे दूर कर सकते है तब उन सब दोस्तों ने एक दूसरे से बाते की। और कहने लगे कि उस पेड़ के नीचे हमने हर लम्हा बिताया है उस पेड़ ने हमे फल दिए है ठंडी छाँव दी है और अब उसके साथ कुछ गलत हो हम ऐसा होने नहीं देंगे वे बोले अब अपना फर्ज निभाने का समय आ गया है। उन्होंने विचार किया और निर्णय लिया कि वे सब मिलकर पैसा इकठ्ठा करेंगे और उस जमीन को खरीद कर अपने अधिकार में ले लेंगे
इस तरह उन्होंने ऐसे ही किया और जो जो उस जमीन पर था वो ऐसे ही रहने दिया। इस तरह से उन्होंने उस पेड़ को बचाकर अपना फर्ज पूरा किया।
शिक्षा : - मनुष्य को हर प्राणी के साथ वफादारी निभानी चाहिए यही सच्ची मानवता है। और अपनी प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए।
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