मेला

    गांव में एक मेला लगा था। उस मेले में दूर दूर से लोग मेले का आनंद लेने आ रहे थे। बड़ो से लेकर छोटे छोटे बच्चे भी मेले में पहुँच रहे थे। उस गांव में मेले का आयोजन कई दिनों तक चलता था। वो मेला इतना प्रसिद्ध था की उस गांव में उस राज्य का राजा भी स्वयं मेला देखने आता था। इस बार भी राजा ने अपने दरबारी से कहा की हम मेला देखने जायेंगे


हमारे जाने का पूरा प्रबंध किया जाये। दरबारी ने आज्ञा मानते हुए राजा के जाने का प्रबंध कर दिया। उस मेले में बहुत सी दुकाने लगी थी जिन पर अलग अलग तरह का सामान मिल रहा था। उसी मेले में एक जगह एक बूढ़ा व्यक्ति बैठा था जो अपाहिज था





वो बहुत गरीब था वो भी अपना सामान बेचने के लिए वहां बैठा था। राजा मेले में आया और मेले में घूमने लगा उसने बहुत चीजे ली वहां के बने पकवानो का स्वाद भी लिया। फिर उस राजा की नजर उस बूढ़े व्यक्ति पर पड़ी जो अपाहिज था और सामान बेच रहा था । उसे देखकर राजा उसके पास गए और बोले बाबा तुम अकेले हो क्या? तुम्हारे घर वाले क्या कर रहे है जो तुम्हे बेचना पड़ रहा है इस हालत में।

 



बूढ़ा बोला महाराज मेरा कोई नहीं है मैं अकेला रहता हूँ और अपना गुजारा खुद करता हूँ । 

ये सुनकर राजा को उसपर दया आ गयी राजा ने उसे ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं दी और उससे सामान भी लिया। ये सब इतनी देर से एक व्यक्ति खड़ा देख रहा था। वो बहुत लालची किस्म का इंसान था उसने भी मेले में दुकान लगाई हुई थी। 

ये सब देखकर उसके मन में लालच आया और उसने कुछ सोचा सोचने के बाद वो अपनी दुकान पर पहुंचा और ठीक वैसे ही अपाहिज बनकर बैठ गया जैसे वो बूढ़ा व्यक्ति। उसे लगा की राजा उसके पास भी ऐसे ही आएगा और उसका दुःख देखकर उसे भी बहुत सारा सोना दे देंगे।

कुछ देर बाद राजा पहुँचते हुए उसी व्यक्ति की दुकान पर आया जो छल से अपाहिज बना था। राजा से बात करने लगा और कहने लगा की वो चल नहीं सकता जिसके के बाद राजा को उसपर भी दया आ गयी और राजा अपने थैले से उसको स्वर्ण मुद्रा देने ही वाला था की तभी आवाज आई की शेर आ गया भागो भागो शेर आ गया इतना सुनते ही वहां के लोगो में भगदड़ मच गयी।  



उधर राजा के मंत्रियो ने राजा को चारो ओर से सुरक्षित कर लिया था। ये सब देखकर वो लालची व्यक्ति जो अपाहिज बना था भागने लगा जब राजा ने देखा की ये तो चल सकता है तभी तुरंत आदेश देकर उसको बंदी बनवा दिया। बाद में पता चला की मेले में नाटक का आयोजन था जिसमे कुछ बच्चे शेर बन रहे थे वहीं से वो आवाजे आ रही थी। अब वो फंस गया था

वो हाथ जोड़ने लगा महाराज मुझे माफ़ कर दो मुझसे गलती हो गयी। राजा बड़ा ही दयालु स्वभाव का था उसे उस व्यक्ति को चेतावनी देकर छोड़ दिया और समझाया की कभी भी किसी के साथ छल नहीं करना।


शिक्षा :-   कभी भी लालच नहीं करना चाहिए लालच इंसान को बुरी परिस्थिति में फंसा देता है।

                                                                                                                    -Vipin Kumar


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