महान कौन विज्ञान या भगवान ?

God vs Science

  रवि: विज्ञान और भगवान में कौन बड़ा है?

सानवी: सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि विज्ञान क्या है और भगवान क्या हैं
👉 नई–नई खोज करना, अवलोकन करना, प्रश्न पूछना, परिकल्पना बनाना, प्रयोग करना और निष्कर्ष निकालना ही विज्ञान है।
👉 वहीं "भगवान" पाँच शब्दों से मिलकर बना है –

  • से भूमि

  • से गगन

  •  से वायु

  • से अग्नि

  • से नीर (जल)

मतलब यह सम्पूर्ण प्रकृति ही भगवान है। और असल में भगवान वही हैं।
विज्ञान प्रकृति के बिना अधूरा है, इसलिए मेरे हिसाब से भगवान महान हैं।


रवि: लेकिन विज्ञान तो भगवान को नहीं मानता।

सानवी: उल्लू एक निशाचर पक्षी है जिसने कभी सूरज नहीं देखा। उसे लगता है सूरज है ही नहीं।
लेकिन सूरज तो हमेशा मौजूद है। ठीक उसी तरह भगवान भी हैं, चाहे विज्ञान उन्हें माने या न माने।


Science

रवि: लेकिन विज्ञान ने हमें बहुत कुछ दिया है।
रात के लिए रोशनी दी, गर्मी में पंखे और ए.सी., सर्दी में हीटर,
गंदे पानी को साफ करने के लिए फिल्टर,
नई बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीन और दवाइयाँ,
दूर की यात्रा के लिए वाहन,
घर बैठे अपनों से बात करने के लिए मोबाइल और इंटरनेट दिए।

सानवी: बिल्कुल सही कहा। विज्ञान ने हमें बहुत कुछ दिया है।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि हमारी मांग (Demand) ज़रूरत से ज़्यादा तो नहीं हो रही?


रवि: मतलब?

सानवी:

  • विज्ञान ने पानी, हवा और सूरज की रोशनी से बिजली बनाई – यह ठीक था।
    लेकिन अब वैज्ञानिक धरती के अंदर से हाइड्रोजन ऊर्जा निकालना चाहते हैं।
    अगर हमने धरती से सब कुछ खींच लिया तो आगे क्या होगा?

  • विज्ञान ने पंखे दिए – यह ठीक था।
    लेकिन ए.सी. के कारण ओज़ोन परत नष्ट हो रही है।

  • विज्ञान ने दवाइयाँ दीं – यह भी ठीक है।
    लेकिन कई नई बीमारियाँ भी विज्ञान के प्रयोगों से ही तो पैदा हुईं।

  • विज्ञान ने बड़े–बड़े वाहन दिए।
    लेकिन अब चौड़े रास्तो के लिए हम जंगल काटते जा रहे हैं, और वही वाहन कार्बन डाइऑक्साइड छोड़कर प्रदूषण फैला रहे हैं।

  • मोबाइल और इंटरनेट दिए।
    लेकिन क्या किसी ने बताया कि उनसे निकलने वाली रेडिएशन धीरे–धीरे हमारी उम्र घटा रही है और रोग–प्रतिरोधक क्षमता को कम कर रही है और हम बार बार बीमार हो रहे है ?



रवि: बात तो सही है, लेकिन विज्ञान ने हमारे काम आसान कर दिए हैं।
आज हम सिर्फ़ एक स्विच ऑन–ऑफ करके रोशनी जला देते हैं।
हमें मेहनत कम करनी पड़ती है, इसलिए मैं कहता हूँ कि विज्ञान महान है।

सानवी: हाँ, विज्ञान ने काम आसान कर दिए।
लेकिन आसान होते–होते इंसान आलसी बन गया।

पहले इंसान 50 km तक की यात्रा पैदल कर लिया करता था लेकिन अब 1 km  जाने के लिए भी उसको बाइक का सहारा चाहिए।

आज हम बिजली पर निर्भर हैं।
अगर बिजली चली जाए तो घर अंधेरे में डूब जाता है,
पानी की मोटर बंद हो जाती है,
आटा–चक्की नहीं चलती,
और इंटरनेट न हो तो लोग बेचैन हो जाते हैं।
यानी धीरे–धीरे हम विज्ञान के गुलाम बनते जा रहे हैं।

रवि: लेकिन भगवान ने हमें क्या दिया है?

सानवी: भगवान ने इस प्रकृति का निर्माण किया।
यहाँ जन्म लेने वाले हर जीव को जीने की जगह दी,
उनके खाने के लिए अन्न, फल, पानी दिया।
हाँ, प्रकृति हमें बिना मेहनत कुछ नहीं देती।
वह हमसे प्यार और परिश्रम चाहती है।
वह हमें धैर्य सिखाती है और यह भी कि
“बिना मेहनत के कुछ हासिल नहीं होता।”

Nature

रवि: लेकिन विज्ञान ने हमें चाँद और मंगल तक पहुँचा दिया।
कल को शायद दूसरे ग्रह पर जीवन भी बस जाए।

सानवी: हाँ, लेकिन क्या यह अजीब नहीं कि इंसान दूसरे ग्रह खोज रहा है और पृथ्वी को नष्ट कर रहा है?
जिस धरती ने जन्म दिया, उसी को खोखला कर रहा है।
क्या यह समझदारी है?

रवि: तो क्या तुम्हारा मतलब है कि विज्ञान पूरी तरह दोषी है?

सानवी: नहीं, विज्ञान दोषी नहीं है। दोषी है इंसान का लालच और उसका असंतुलित उपयोग।
जैसे –

  • विज्ञान ने दवा बनाई ताकि रोग मिटे, लेकिन आज इंसान वही दवा नशे में बदलकर बेच रहा है।

  • विज्ञान ने मशीन बनाई ताकि श्रम कम हो, लेकिन इंसान ने उसका दुरुपयोग कर बेरोज़गारी बढ़ा दी।

  • विज्ञान ने हथियार दिए ताकि सुरक्षा हो, लेकिन इंसान ने उनसे युद्ध छेड़ दिए।

मतलब असली समस्या विज्ञान में नहीं, बल्कि इंसान की सोच में है।

रवि: तो क्या हमें विज्ञान छोड़ देना चाहिए?

सानवी: नहीं। विज्ञान बुरा नहीं है।
गलत उसका इस्तेमाल है।
विज्ञान एक चाकू की तरह है – उससे फल भी काटे जा सकते हैं और किसी को चोट भी पहुँचाई जा सकती है।
निर्णय इंसान के हाथ में है कि उसका उपयोग कैसे करे।



रवि: और भगवान?

सानवी: भगवान हमें संतुलन सिखाते हैं।
वे कहते हैं – “प्रकृति से उतना ही लो जितनी ज़रूरत है। लोभी मत बनो।”
विज्ञान ने अगर दौड़ना सिखाया है तो भगवान ने रास्ता दिखाया है।
दोनों मिलकर ही जीवन पूर्ण बनाते हैं।


रवि: यानी असली समस्या विज्ञान और भगवान में नहीं, इंसान के लालच में है?

सानवी: बिल्कुल।
विज्ञान साधन है, भगवान साध्य हैं।
विज्ञान हमें भौतिक सुख देता है, भगवान हमें आत्मिक शांति।
अगर हम दोनों का सही संतुलन बना लें तो यही मानव जीवन की सबसे बड़ी सफलता होगी।


निष्कर्ष :
विज्ञान ने इंसान को सुविधाएँ दी हैं, लेकिन भगवान ने जीवन दिया है।
विज्ञान हमें गति देता है, पर भगवान हमें दिशा देते हैं।
दोनों की अपनी महत्ता है –
अगर विज्ञान तर्क है तो भगवान आस्था हैं।
दोनों के संतुलन से ही जीवन सुंदर बनता है।

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