Jai Hanuman


एक समय की बात है, अंजना नाम की एक प्यारी वानर रानी थीं। उनका एक छोटा सा बेटा था, जिसका नाम हनुमान था। हनुमान बहुत नटखट थे, लेकिन उनका दिल सोने का था।

एक सुबह, छोटे हनुमान ने उगते सूरज को देखा। वह चमकीला और गोल था, बिल्कुल एक पके हुए, मीठे फल की तरह। "वाह! कितना स्वादिष्ट फल!" उन्होंने सोचा।

हनुमान को उस फल को खाने की बहुत इच्छा हुई। उन्होंने एक लंबी छलांग लगाई और सीधे आसमान में उड़ चले, उस चमकीले फल को पकड़ने के लिए।

आसमान में, सूर्य देव ने छोटे हनुमान को अपनी ओर आते देखा। वह थोड़ा डर गए। "यह छोटा वानर मुझे खाने आ रहा है!" उन्होंने सोचा।

देवताओं के राजा, इंद्र देव, यह देखकर क्रोधित हो गए। उन्होंने सोचा कि हनुमान सूर्य को नुकसान पहुँचा सकते हैं। उन्होंने अपना शक्तिशाली वज्र उठाया।

इंद्र ने अपना वज्र हनुमान की ओर फेंका। वज्र लगते ही हनुमान मूर्छित होकर धरती पर आ गिरे।

हनुमान के पिता, पवन देव, ने जब अपने बेटे को इस हाल में देखा तो वे बहुत दुखी हुए। उन्होंने गुस्से में दुनिया में हवा चलाना बंद कर दिया। सब परेशान हो गए।

सभी देवता अपनी गलती समझ गए। वे हनुमान के पास आए और अपनी शक्तियों से उनकी मूर्छा तोड़ी। उन्होंने हनुमान को बहुत सारी शक्तियाँ दीं और उन्हें आशीर्वाद दिया।

हनुमान को आशीर्वाद मिला कि कोई भी हथियार उन्हें चोट नहीं पहुँचा सकेगा और वे बहुत शक्तिशाली बनेंगे। उन्होंने अपनी गलती से एक बड़ा सबक सीखा।

उनकी माँ अंजना ने उन्हें गले लगाया और कहा, "मेरे प्यारे हनुमान, तुम्हारी शक्तियाँ दूसरों की मदद करने के लिए हैं।" और बड़े होकर, हनुमान भगवान राम के सबसे बड़े भक्त और सहायक बने।


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