एक था छोटा बंदर, नाम था उसका टिमटिम। वह जंगल में सबसे खुश और सबसे नटखट बंदर था। वह सारा दिन एक डाल से दूसरी डाल पर कूदता और मीठे-मीठे फल खाता.
एक दिन जब हवा चल रही थी, तो उड़ती हुई एक रंग-बिरंगी टोपी आई और सीधे टिमटिम के सिर पर आ गिरी। वह टोपी इंद्रधनुष जैसी थी, जिसमें लाल, नीला, पीला और हरा रंग था। टिमटिम ने खुशी से टोपी को ठीक से पहन लिया।
जैसे ही टिमटिम खुशी से कूदा, टोपी से एक मज़ेदार आवाज़ आई और वह गाने लगी!
"टोपी है मेरी बड़ी निराली,
रंगों से भरी, कभी न खाली,
खुश होकर जब तुम कूदोगे,
मेरे संग तुम भी झूमोगे!"
टिमटिम अपनी जादुई टोपी दिखाने के लिए अपनी दोस्त गिल्लो गिलहरी के पास भागा। गिल्लो एक पेड़ के तने पर बैठी अखरोट खा रही थी। टिमटिम ने कहा, "गिल्लो, देखो मेरे पास क्या है!"
गिल्लो ने हैरानी से पूछा, "यह तो बस एक टोपी है!" टिमटिम हँसा और उसने फूलों के बारे में सोचा। अचानक, टोपी से छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे फूल निकलकर हवा में उड़ने लगे!
लेकिन फिर टिमटिम थोड़ा घबरा गया। उसने सोचा, "कहीं केले भी गिरें तो?" और सचमुच! आसमान से केले बरसने लगे! एक केला सीधा गिल्लो के सिर पर गिरा! "टप!"
"यह टोपी तो गड़बड़ कर रही है!" गिल्लो ने कहा। वे दोनों मदद के लिए जंगल में सबसे समझदार उल्लू दादा के पास गए। उल्लू दादा एक बड़ी सी किताब पढ़ रहे थे।
उल्लू दादा ने अपनी मोटी ऐनक ठीक की और बोले, "यह कोई साधारण टोपी नहीं है। यह जादुई है और तुम्हारे मन की बात मानती है।" फिर उन्होंने समझाया:
"मन में हो जैसी भावना,
वैसी ही इसकी कामना,
सोचोगे अच्छा तो अच्छा होगा,
नहीं तो सब गड़बड़ होगा।"
टिमटिम को बात समझ आ गई। उसने अपनी आँखें बंद कीं और एक सुंदर इंद्रधनुष के बारे में सोचा। जब उसने आँखें खोलीं, तो उसकी टोपी से एक असली, चमकता हुआ इंद्रधनुष निकलकर पूरे आसमान में फैल गया था।
अब टिमटिम समझ गया था कि अपनी जादुई टोपी का इस्तेमाल कैसे करना है। वह और गिल्लो उस इंद्रधनुष के नीचे खूब नाचे और गाए।
"टिमटिम की टोपी है कमाल,
करती है देखो क्या धमाल,
अच्छी सोच से, प्यारे मन से,
खुशियाँ लाती जंगल में!"
बचपन की दुनिया – बच्चों के लिए रोचक कहानियाँ, प्यारी कविताएँ और मजेदार खेलों का खजाना। नन्हें–मुन्नों के लिए सीख और मस्ती से भरा यह पेज हर माता–पिता और बच्चे के लिए खास है।
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