वीर गोगा जी के जन्म की कथा भाग- 3

Veer Goga Ji ki Amar Katha

⚔️ वीर गोगा जी का बाल्यकाल और साधना

☠️ षड्यंत्र और विषपान

समय बीतते ही माता काछल ने अपनी ननद छबीली संग मिलकर
गोगा जी को मारने का षड्यंत्र रचा 😠।

छबीली ने दूध में विष मिलाकर गोगा जी को पिलाया 🥛☠️।
परंतु गोगा जी ने बड़े आनंद से विषपान किया और मुस्कुराकर कहा –
👉 “यह तो बहुत स्वादिष्ट है, थोड़ा और लाओ।”

यह देखकर छबीली के होश उड़ गए और वह डरकर काछल के पास भागी 😨।
इसके बाद भी काछल ने अनेक बार गोगा जी को हानि पहुँचाने की कोशिश की,
लेकिन वह हर बार असफल रही 🙏।

माता बाछल की शिक्षा और काछल का षड्यंत्र

जहां एक तरफ गुरु गोरखनाथ की भविष्यवाणी से चिंतित माता बाछल गोगा जी को शिक्षा देती कि अर्जन और सर्जन तुम्हारे ही भाई हैं,
तो वहीं दूसरी ओर काछल अपने पुत्रों के मन में गोगा जी के प्रति द्वेष उत्पन्न करने लगी।

⚔️ काछल ने अपने पुत्रों से कहा:
"तुम दो हो और वह अकेला, फिर भी तुम उससे मार खाकर आते हो।
अगर वह जीवित रहा तो तुम्हें कभी ददरेवा की राजगद्दी देना तो दूर, उसके आसपास फटकने तक नहीं देगा।
अतः तुम्हें गोगा को बल से नहीं अपितु छल से मारना होगा।"

इसके बाद अर्जन और सर्जन ने योजना बनाई और गोगा जी को खेलने के बहाने अपने साथ ले गए।
💧 ददरेवा में बने एक गहरे तालाब के पास ले जाकर, उन्होंने गोगा जी को पीछे से धक्का दे दिया।



🐍 तालाब और नागराज तक्षक

काछल के उकसावे पर अर्जन और सर्जन ने छल से
गोगा जी को गहरे तालाब में धक्का दे दिया 🌊।

🐍 तालाब की गहराइयों में गोगा जी का आगमन

गोगा जी जब तालाब की गहराइयों में पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि उसी तल पर नागराज तक्षक गहन तपस्या में लीन बैठे हैं। यह दृश्य देखकर गोगा जी के मन में प्रश्न उत्पन्न हुआ और उन्होंने तक्षक की तपस्या भंग करते हुए उससे पूछ ही लिया कि आप यहां क्या कर रहे हैं ।


⚡ तक्षक का क्रोध

तपस्या में विघ्न आने से तक्षक क्रोधित हो उठा और गोगा जी को क्षति पहुँचाने की मंशा से उनकी ओर बढ़ा। तभी वहाँ गुरु गोरखनाथ प्रकट हुए और तक्षक को रोक लिया।


🙏 गोरखनाथ का सत्य उद्घाटन

तक्षक ने क्रोध में पूछा – “यह मायावी बालक कौन है, जिसने मेरी तपस्या भंग की? और आप इसकी रक्षा क्यों कर रहे हैं?”
गुरु गोरखनाथ मुस्कुराते हुए बोले – “तक्षक, शायद तुमने इसे पहचाना नहीं। मैं इसकी रक्षा करने नहीं, बल्कि तुम्हारे प्राणों की रक्षा करने आया हूँ। यही वही बालक है, जिसे तुम गर्भ में ही नष्ट करना चाहते थे।”


🌟 तक्षक की क्षमा और गोगा जी की करुणा

गोगा जी की असीमित शक्तियों का स्मरण होते ही तक्षक का अहंकार टूट गया। वह लज्जित होकर गोगा जी से क्षमा माँगने लगा। गोगा जी भी करुणामय हृदय से उसकी तपस्या में हुए विघ्न के लिए खेद प्रकट कर पुनः भूलोक पर लौट आए।


⚔️ भाइयों से युद्ध

भाइयों के छल को देखकर गोगा जी का क्रोध अग्नि बन उठा 🔥।
उन्होंने अर्जन और सर्जन पर प्रहार कर दिया।

दोनों ही गुरु गोरखनाथ की कृपा से बलवान थे,
फिर भी गोगा जी की शक्ति के सामने टिक न सके ⚡।
आख़िरकार पिता जेवर सिंह बीच में आकर युद्ध रोकते हैं।


🏰 राज्य का बंटवारा

घायल अर्जन और सर्जन अपनी माता काछल के पास पहुँचे।

माता काचल ने घेवर सिंह के पास पहुँचकर अपनी चिंता साझा की और उनसे अमरपाल सिंह चौहान से राज्य के बंटवारे की मांग करने को कहा।
ना चाहते हुए भी घेवर सिंह पिता के सामने उपस्थित हुए और आधा राज्य अपने पुत्रों के लिए माँग लिया।

चौहान राजवंश में इससे पहले कभी बंटवारा नहीं हुआ था, किंतु भविष्य की संभावित अशांति को देखते हुए अमरपाल सिंह चौहान मान गए।
परंतु उन्होंने एक शर्त रखी—
बंटवारा केवल शासन का होगा, लेकिन रहना सभी को ददरेवा के महलों में ही पड़ेगा।

इस निर्णय के बाद गहेवर सिंह को बंटवारे में सांभर का क्षेत्र सौंपा गया।


🐎 गोगा जी और नीला घोड़ा

अब गोगा जी का महल से बाहर जाना लगभग प्रतिबंधित था।
वे अपना अधिकतर समय अपने प्रिय घोड़े नीले के साथ बिताने लगे 🐎💙।

नीला कोई साधारण घोड़ा नहीं था।
जब माता बाछल को पुत्र प्राप्ति हेतु गुगल प्रसाद मिला,
तो दयालु माता ने उसका कुछ अंश अपनी घोड़ी को भी खिला दिया 🙏।

क्योंकि वह घोड़ी भी निसंतान थी।
उस गुगल के प्रभाव से नीला भी अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण हो गया।

गोगा जी बाल्यावस्था में नीले पर सवार होकर
खेल-खेल में स्वर्गलोक जा पहुँचे 😲।


देवराज इंद्र ने उन्हें न पहचानकर शस्त्रों से प्रहार किया,
लेकिन गोगा जी को आंच तक न आई ⚡।

तभी गुरु गोरखनाथ प्रकट हुए और
देवराज इंद्र व गोगा जी का परिचय कराया 🙏।


🕉️ योग-साधना

इस बीच गोगा जी 12 वर्ष के हो चुके थे।
गुरु गोरखनाथ ने माता बाछल और जेवर सिंह से दिए वचन अनुसार
गोगा जी को अपने साथ ले लिया ✨।

कई वर्षों की कठिन साधना और शिक्षा के बाद
गोगा जी योग सिद्धियों में निपुण होकर लौटे 🧘‍♂️।
अब वे केवल वीर पुत्र ही नहीं, बल्कि
शक्ति, भक्ति और सिद्धि के स्वरूप बन चुके थे 🚩।


🌸 इस प्रकार गोगा जी का बाल्यकाल विषपान, छल, संघर्ष और
गुरु की कृपा से सिद्धियों की प्राप्ति में बीता 🙏✨।

भाग 4👉🏼

भाग 4 में आप जानेगे बगदाद की यात्रा और महाकाली का आशीर्वाद। 

<- भाग १ 

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