🌸 बगदाद की यात्रा और महाकाली का आशीर्वाद 🌸
👑 गोगा जी का स्वप्न
ददरेवा लौट आने से जहाँ सब प्रसन्न थे, वहीं काछल और उसके पुत्रों के मन में जलन बनी रही 😠।
इसी बीच एक रात गहरी निद्रा में गोगा जी को स्वप्न आया 🌙।
उन्होंने देखा — उनकी माता और मौसी जैसी दो स्त्रियाँ इराक के बगदाद में एक अरबी शासक के महलों में कैद हैं 🏰।
वहाँ का अरबी शासक 🕌 गौ माता को भी बंदी बनाए हुए है 🐄,
और सभी गायों को दावत पर काटने के लिए कैद किया हुआ है
और भूखी-प्यासी गौ माता उनकी रक्षा के लिए पुकार रही है 🙏।
नींद टूटते ही गोगा जी की आँखें क्रोध से रक्तवर्ण हो उठीं 🔥।
👩👦 माता का रहस्य
गोगा जी ने माता बाछल से इसकी पुष्टि की।
माता ने बताया कि बहुत समय पहले आक्रमण के दौरान
उनकी दो बहनों को अरबी शासक उठा ले गया था।
उस समय हम दोनों बहनें बहुत छोटी थी जिसके बाद से आज तक उनकी कोई खबर नहीं मिली।
गौ माता और मौसियों को बचाने का संकल्प लेकर
गोगा जी ने माता से आशीर्वाद माँगा 🙇।
पुत्र मोह के कारण माता ने पहले रोका,
पर गौ माता की रक्षा की बात पर आशीर्वाद और विजय तिलक देकर अनुमति दी 💐।
🐎 बगदाद की ओर प्रस्थान
गोगा जी ने अपने नीले की लगाम खींची 💙🐎।
लगभग 1000 कोस की कठिन यात्रा के बाद वे बगदाद पहुँचे।
वहाँ जाकर उन्होंने अरबी शासक को युद्ध के लिए ललकारा ⚔️।
गोगा जी का परिचय सुनकर बादशाह उपहास करने लगा —
"अकेला बालक मुझे युद्ध की चुनौती देता है!"
उसे क्या पता था कि उसके सामने स्वयं जाहरवीर गोगा जी महाराज खड़े हैं 🚩।
⚔️ भीषण युद्ध का आरंभ
बादशाह ने गोगा जी को पकड़ने के लिए सैनिक टुकड़ी भेजी।
पर वीर गोगा जी ने अकेले ही उन सबका संहार कर दिया 🔥।
धरती असुरों के रक्त से लाल हो गई 🌍💉।
यह देख बादशाह ने लाखों की विशाल सेना को आदेश दिया।
चारों ओर से असुरों का सागर गोगा जी की ओर बढ़ने लगा ⚔️।
🌺 माता काली का प्रकट होना
गौ माता ने संकट में भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा 🙏।
भगवान के आग्रह पर रणचंडी स्वयं
साक्षात महाकाली के रूप में रणभूमि में प्रकट हुईं 🕉️⚫।
उन्होंने गोगा जी को असुरों के अंत के लिए दिव्य शक्ति प्रदान की।
यही कारण है कि आज भी हर गोगा मंदिर में माता काली की पूजा होती है 🌸।
⚡ गोगा जी का पराक्रम
शक्ति पाकर गोगा जी ने प्रचंड गर्जना की 🦁।
उनकी तलवार बिजली की तरह चमकी ⚡ और
लाखों असुरों को एक-एक कर चीर कर रख दिया ⚔️।
धरती पर धर्म की विजय और अधर्म का अंत हुआ 🚩।
🔥 यह कथा गोगा जी की गौ-भक्ति, मातृ-भक्ति और अपार पराक्रम का जीवंत प्रमाण है।
⚔️ गोगा जी का पराक्रम और तंदुल नगरी की कथा 🌸
🕉️ युद्ध में सर्वत्र रूप
गुरु गोरखनाथ से प्राप्त योग सिद्धियों के कारण
वीर गोगा जी एक ही समय में रणभूमि के अनेकों स्थानों पर युद्ध करते दिखे ⚡।
अरबी बादशाह को अब स्पष्ट हो गया कि उसका अंत निकट है 😨।
वह गोगा जी के चरणों में गिर पड़ा और दया की भीख माँगने लगा 🙏।
पर गौ-भक्त गोगा जी ने कहा —
"मैं तुझे क्षमा तो कर सकता हूँ पर तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है!"
और फिर एक ही वार में उस दुष्ट गौहत्यारे का अंत कर दिया ⚔️।
गौ माता स्वतंत्र हुईं 🐄🌸 और धर्म की जयकार गूँज उठी 🚩।
👩👦 मौसी से भेंट
गोगा जी अपनी वृद्ध मौसी के पास पहुँचे और उन्हें अपने साथ लौटने का आग्रह किया।
मौसी ने बताया कि उनकी दूसरी बहन का स्वर्गवास हो चुका है और
अब वह इतनी लंबी यात्रा करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा —
"मैं अपना अंतिम समय यहीं व्यतीत करना चाहती हूँ।"
गोगा जी ने उन्हें प्रणाम किया 🙇 और ददरेवा की ओर लौटने लगे।
🏰 तंदूर नगरी में प्रवेश
वापसी में, विधि के विधान से गोगा जी मार्ग भटककर तंदुल नगरी पहुँचे।
यहाँ राजा सिंधा तंवर का शासन था 👑।
लंबी यात्रा से थके हुए गोगा जी ने विश्राम लिया और
अपने नीले घोड़े 🐎 को चरने के लिए छोड़ दिया।
नीला घूमता-घूमता राजा के शाही बाग में चला गया 🌿।
उसी समय राजा की पुत्री राजकुमारी सीरियल 🌸 अपनी सखियों संग वहाँ टहल रही थीं।
उन्होंने जैसे ही दिव्य नीले घोड़े को देखा, वे उसकी ओर बढ़ीं।
💙 पहली भेंट
नीला घोड़ा लौटने लगा और गोगा जी भी उसकी तलाश में उसी बाग में पहुँचे।
जैसे ही गोगा जी और राजकुमारी सीरियल आमने-सामने आए,
दोनों की नज़रें मिलीं और वे एक-दूसरे को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए ✨💫।
🌺 गुरु गोरखनाथ का वरदान और भविष्यवाणी
इस मिलन के पीछे भी एक रहस्य था।
माता बाछल को पुत्र प्राप्ति का वरदान देने के पश्चात, गुरु गोरखनाथ तंदुल नगरी पधारे थे।
राजा सिंधा सिंह और रानी सिरोजा संतानहीन थे।
गुरु के दर्शन पाकर रानी ने भावपूर्वक भोजन का आग्रह किया 🙏।
राजा-रानी की सेवा से प्रसन्न होकर गुरु ने उन्हें एक गुणवान पुत्री का वरदान दिया।
कुछ समय बाद राजकुमारी सीरियल का जन्म हुआ 🎉।
जन्मोत्सव पर गुरु गोरखनाथ स्वयं पधारे और भविष्यवाणी की —
"यह कन्या बागड़ देश के ददरेवा नगरी के राजा वीर गोगा चौहान से विवाह करेगी।"
⚡ राजा सिंधा की प्रतिज्ञा
गुरु मुख से निकले वचन सुनकर राजा सिंधा सिंह को आघात पहुँचा 😠।
क्योंकि तंदूर राज्य और चौहानों में वर्षों से संघर्ष चला आ रहा था।
राजा ने मन ही मन निश्चय किया —
"कभी भी अपनी पुत्री का विवाह चौहान वंश में नहीं करूँगा।"🔥
भाग 5 में आप जानेगे गोगा जी और माता सीरियल का मिलन एवं सगाई प्रसंग।
<- भाग १
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