वीर गोगा जी के जन्म की कथा भाग- 2

 

Veer Goga Ji ki Amar Katha

🕉️ गोगा जी के जन्म की कथा

🌿 गुरु गोरखनाथ का आगमन

एक दिन गुरु गोरखनाथ जी राजस्थान के राजगढ़ के पास स्थित
दत्त खेड़ा गांव (ददरेवा) पहुँचे।
वहाँ एक टीले पर अपनी धूनी लगाकर तपस्या करने लगे 🔥🙏।

वहीं पास में चौहान राजवंश के राजा जेवर जी और उनकी रानी – माता बाछल तथा राजा घेवर जी और उनकी रानी माता काछ का महल था।

दोनों जुड़वाँ बहनें थीं और अब तक संतान-सुख से वंचित थीं 👑।


🙏 माता बाछल की भक्ति

माता बाछल शांत और दयालु स्वभाव की थीं।
वे अधिकतर समय भगवान की पूजा-अर्चना में लीन रहती थीं 🕉️🌸।

किसी ने उन्हें पुत्र-प्राप्ति के लिए गुरु गोरखनाथ की भक्ति का सुझाव दिया।
माता बाछल ने पूरे मन से गुरु की सेवा की –
नित्य धूनी को साफ करतीं और गौमाता के गोबर से लिपाई-पुताई करतीं 🐄✨।

उनकी भक्ति देखकर गुरु गोरखनाथ प्रसन्न हुए और बोले –
👉 “कल प्रातः हम यहाँ से प्रस्थान करेंगे, तुम आओगी तो तुम्हें पुत्र-प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे।”


⚡ छल और आशीर्वाद

यह समाचार सुनकर माता काछल के मन में ईर्ष्या जाग उठी 😠।
दोनों बहनें हमशक्ल थीं।
सुबह होते ही काछल, बाछल का रूप धरकर गुरु के पास पहुँची।

गुरु ने उसे आशीर्वाद दिया –
👉 “तुम्हें दो वीर और पराक्रमी पुत्र प्राप्त होंगे।” ⚔️👶👶

गुरु के प्रस्थान के बाद जब माता बाछल पहुँचीं तो वे दुखी हो गईं 😔।

दुखी मन से माता बाछल ने सोचा कि शायद वह देर से पहुँची हैं

और गुरु उनके आने से पहले ही प्रस्थान कर चुके हैं।
आशीर्वाद पाने की गहन इच्छा से भरे हृदय के साथ माता बाछल ने संकल्प किया कि वह हार नहीं मानेंगी।

इसी दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने गुरु गोरखनाथ के पदचिह्नों का पीछा करना आरंभ कर दिया, ताकि किसी भी तरह उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। अंततः गुरु से मिलकर
पुत्र-प्राप्ति का आशीर्वाद माँगा।


गुरु को काछल की चाल समझ आ गई।
क्रोध में उन्होंने वरदान दिया –
👉 “तुम्हें तेजस्वी पुत्र होगा, जो आगे चलकर काछल के पुत्रों का वध करेगा।”

माता बाछल ने करुणा भरे स्वर में गुरु से विनम्र अनुरोध किया –
“ऐसा मत कीजिए, यदि आपने उसे दो पुत्रों का आशीर्वाद दिया है तो मुझे उससे कोई आपत्ति नहीं।”

परंतु गुरु के मुख से निकले शब्द अब नियति का रूप ले चुके थे

गुरुवाणी की शक्ति ने भविष्य की दिशा तय कर दी थी, जिसे बदलना अब संभव नहीं था।🔥।


🐍 तक्षक नाग और गुगल

जिसके बाद गुरु गोरखनाथ उनको तेजस्वी पुत्र का वरदान देने के लिए पाताल लोक में प्रवेश कर गए

और वहाँ से राजा जन्मेजय की आत्मा गुगल में छिपाकर भूलोक पर लाए।

तक्षक नाग ने पीछा किया और गुगल छीनकर निगलने लगा 🐍।
तभी एक युवक झाड़ू लेकर सफाई कर रहा था।

उसने नाग पर झाड़ू के डंडे से प्रहार किया जिसके कारण गुगल तक्षक के मुख से नीचे गिर पड़ा।

गुरु ने गुगल उठाकर युवक को आशीर्वाद दिया –
👉 “इस गुगल से उत्पन्न बालक महान सिद्ध पुरुष होगा, जिसके भजनों का तुम लोग गायन करोगे।” 🎶

फिर गुरु अंतर्ध्यान हो गए और गुगल माता बाछल को सौंप दिया।


🌸 पुत्र-प्राप्ति

इस प्रकार माता बाछल के गर्भ में राजा जन्मेजय की आत्मा ने स्थान लिया।
समय आने पर माता बाछल और माता काछल दोनों गर्भवती हुईं।

परंतु ईर्ष्यालु काछल को संदेह हुआ काछल को लगा कि केवल मुझे ही गुरु से पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है 

और उसने बाछल पर कलंक लगाया 😡।
यह बात उसकी ननद छबीली तक पहुँची।


क्रोध में आग बबूला हुई छबीली बाछल के महलों में आ पहुंची और

माता बाछल को खरी खोटी कह सुनाई माता बाछल ने उनको सारा वृतांत कह सुनाया किंतु छबीली को

माता बाछल की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। और

अपने पिता अमरपाल सिंह चौहान के पास जा पहुँची।

अमरपाल सिंह ने बिना सत्य जाने
बाछल को अपमानित कर उसके मायके भेजने का आदेश दे दिया 🚪।


🌳 तक्षक नाग का प्रहार

जब माता बाछल अपने मायके जा रही थी तब 

गर्मी और धूप के कारण यात्रा के बीच माता बाछल ने एक पेड़ के नीचे विश्राम किया 🌞🌳।

गाड़ीवान भी सो गया।

तभी अवसर की तलाश में बैठा तक्षक नाग वहाँ पहुँचा।
उसने गाड़ीवान को डस लिया और अब
माता बाछल की ओर बढ़ने लगा 🐍⚡

🌟 वीर गोगा जी और तक्षक नाग⚡ 

गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से अपार शक्तियों से परिपूर्ण वीर गोगा जी माता की कोख से प्रकट हुए 🙏।
गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद के कारण अपार शक्तियों से परिपूर्ण वीर गोगाजी, माता की कोख से बाहर प्रकट हुए और उन्होंने एक हाथ से तक्षक नाग का गला दबोच लिया 🐍✊।


नाग तड़पने लगा और दया की भीख माँगने लगा 🙇।
गोगा जी ने आदेश दिया –
👉 “गाड़ीवान के शरीर से विष निकालकर उसे पुनः जीवित करो।”
नाग ने आज्ञा का पालन किया और क्षमा माँगते हुए पाताल लोक लौट गया 🌌।


🌸 माता बाछल की परीक्षा

गाड़ीवान जीवित हुआ और माता बाछल को लेकर सिरसा पहुँचा।
वहाँ उनके पिता ने सत्य जानने के लिए परीक्षा रखी।

कच्चे सूत के धागों से बनी चारपाई को कुएँ पर रखा जाएगा और तुम्हें उस पर सोना होगा और कहा अगर तुम्हारे अंदर सत है तो के कच्चे धागे तुम्हारा वजन सहन कर लेंगे 🪢🕉️।

माता ने गुरु गोरखनाथ को याद किया और परीक्षा देने के लिए तैयार हो गई। 🌸 जैसे ही वे कच्चे सूत से बनी चारपाई पर बैठीं, सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए 😲— क्योंकि एक भी धागा नहीं टूटा।
और माता बाछल गुरु गोरखनाथ को याद कर कच्चे सूत से बने धागों की चारपाई पर लेट गई, यह देख सभी को प्रमाण मिल गया कि माता बाछल सतवंती और पवित्र हैं। 🙏

👉 इसके बाद पाल सिंह जी ने अपने समधी अमरपाल सिंह चौहान को पत्र लिखकर यह प्रमाण भेजा और तुरंत जेवर सिंह को बुलाकर माता बाछल को वापस ले जाने का आग्रह किया। 🕉️


🌙 गोगा जी की आवाज

एक दिन माता गहरी निद्रा में थीं।
उन्हें अपने गर्भ से गोगा जी की दिव्य आवाज सुनाई दी 👶💫।

👉 “माँ, यदि मेरा जन्म ननिहाल में हुआ तो लोग उपहास करेंगे।
मेरा जन्म पितृभूमि ददरेवा में ही होना चाहिए।”

माता ने कहा – “पुत्र, तुम्हारे पिता हमें लेने नहीं आएंगे।”
गोगा जी बोले – “चिंता मत करो, मैं पिताजी से बात करता हूँ।”


🌟 जेवर सिंह का स्वप्न

इसी बीच माता बाछल के वियोग में जंगल में विश्राम कर रहे जेवर सिंह की आंख लग गई तभी 🌳।
उनके स्वप्न में गोगा जी प्रकट हुए और बोले –
👉 “पिताश्री, तुरंत माँ को ददरेवा लेकर आइए।
मेरा जन्म यहीं होना निश्चित है।”

अचानक जेवर सिंह की नींद टूटी और उन्होंने देखा कि राज्य के कुछ सैनिक उनके समक्ष खड़े हैं।
वे सैनिक अमरपाल सिंह का संदेश लेकर आए थे।
जेवर सिंह तुरंत माता को लेकर ददरेवा लौटे 🚩।


🎉 दिव्य जन्म

जैसे ही माता बाछल ददरेवा पहुँचीं, सूखी भूमि हरी-भरी हो गई 🌿🌸।
चारों ओर आनंद और उल्लास छा गया।

और फिर वह पावन क्षण आया –
👉 भाद्रपद सुदी नवमी, विक्रम संवत 1003 🗓️
जब गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से माता बाछल ने वीर गोगा जी को जन्म दिया 🙏🕉️।

उसी समय माता काछल ने अर्जन और सर्जन नामक जुड़वाँ पुत्रों को जन्म दिया।
परंतु उनके जन्म अशुभ मुहूर्त में हुए, इसलिए कोई उत्सव नहीं मनाया गया।


शुभ मुहूर्त में हुए गोगा जी का जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया गया 🎶🥁।
यह देखकर माता काछल के मन में द्वेष और ईर्ष्या उत्पन्न हो गई 😠।

देखते ही देखते माता काछल के मन में गोगा जी के प्रति द्वेष उत्पन्न हो गया। उसने सोचा — “इसके जन्म लेते ही इसे मेरे बेटों से श्रेष्ठ माना जा रहा है,

कल जब यह बड़ा होगा तो मेरे बच्चों के हिस्से का राजपाठ भी इसे ही मिलेगा।”

इसी ईर्ष्या के कारण काछ किसी भी तरह गोगा जी को रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगी। ⚔️


🕉️ गुरु गोरखनाथ की शरण

माता बाछल को काछल के मंसूबों का आभास था।
इसलिए वे अपने पति जेवर सिंह के साथ गोगा जी को लेकर
गुरु गोरखनाथ के पास पहुँचीं 🙏।

माता ने प्रार्थना की –
👉 “गुरुदेव, जब तक गोगा युवा न हो जाए, आप इन्हें शिक्षा और रक्षा प्रदान करें।”

गुरु गोरखनाथ ने बालक गोगा जी को गोद में लिया और अपनी योगशक्ति से
उन्हें और भी बलवान बना दिया 💪✨।

गुरु ने आशीर्वाद दिया –
👉 “गोगा को रक्षा की आवश्यकता नहीं।
जब यह बारह वर्ष के होंगे, मैं इन्हें योग विद्या में निपुण करूँगा।”

इसके बाद गुरु चरणों में प्रणाम कर माता-पिता गोगा जी को लेकर महलों में लौट आए 👑।

भाग 3👉🏼

भाग 3 में आप जानेगे कैसे गोगा जी बाल्यावस्था में नीले पर सवार होकर

खेल-खेल में स्वर्गलोक जा पहुँचे 😲। 

<- भाग १ 

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