जाहरवीर गोगा जी की अमर कथा भाग- 9

 


समाधि स्थल पर परिवार का विलय 🌍🙏

श्री गोगा महापुराण के अनुसार, जब गोगा जी के समाधि लेने का समाचार दोनों रानियों को मिला,
तो माता काछल और बाछल सहित दोनों रानियाँ गोगा जी के समाधि स्थल पर पहुँचीं। 👑👩‍🦰

उन्होंने गोगा जी से पुकार लगाई —
“हमें भी अपने साथ ले चलो।” 💔
और देखते ही देखते पूरा परिवार धरती माता की गोद में समा गया। 🌏🤲


उमर पाल सिंह और गुरु गोरखनाथ की शिक्षा ⚔️🧘‍♂️

जब उमर पाल सिंह ने अपनों को जाते देखा तो वे भी ऐसा करना चाहते थे।
लेकिन गुरु गोरखनाथ ने रोका और कहा —
“एक राजा का धर्म और कर्तव्य अपनी आखिरी सांस तक अपनी प्रजा की सेवा करना है।” 👑🛡️

उन्होंने समझाया —
“कोई कहीं नहीं गया, केवल भौतिक शरीर त्यागा है।
सच्चे मन से देखो, सभी तुम्हारे साथ कण-कण में विराजमान हैं।”


समाधि के बाद चमत्कारिक दर्शन 👀🌌

गोगा जी के समाधि लेने के बाद भी लोगों ने उन्हें बार-बार देखे जाने के दावे किए।

  • कोई कहता, उन्हें हरिद्वार के पास कजली वन में टहलते देखा। 🌳

  • कोई कहता, उन्हें गोरख टीले पर तपस्या करते पाया। 🧘‍♂️

  • ददरेवा के किसान भी कभी-कभी उनकी झलक देखने का दावा करते। 🌾

किसी को विश्वास होता, तो कोई इसे अफवाह मानकर अनसुना कर देता।


समय का चक्र और विस्मृति ⏳🌑

समय बीतता गया, सदियाँ निकल गईं और धीरे-धीरे लोग गोगा जी को भूलने लगे।
नई पीढ़ियों ने उनका नाम तक नहीं सुना था।
बस कुछ चुनिंदा बुज़ुर्ग ही अपने बुज़ुर्गों से सुनी गोगा जी की कथा को आगे बताते रहे। 👴📖
लेकिन उनके लिए यह मात्र एक दंतकथा बनकर रह गई।


अविश्वसनीय घटना का प्रारंभ ⚡🐄

फिर घटी वह घटना जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।
जहाँ गोगा जी ने समाधि ली थी, उसी स्थान के पास एक रामा नाम का रायका गाय चराया करता था। 🐂👦

👉 रायका समुदाय एक प्राचीन वर्ग है, जो मुख्यतः पशुपालन और खेतीबाड़ी से जुड़ा रहा है। 🌾

रामा के पास कई गायें थीं, लेकिन उसने देखा कि उसकी एक गाय जिसका नाम सूर्य था,
अचानक दूध देना बंद कर चुकी है। 🐄🚫🥛


रहस्यमयी गाय "सूर्य" 🌞🐄

रामा ने गौर किया कि जब भी वह गायों को चराने ले जाता,
तो गाय सूर्य झुंड से अलग होकर कहीं चली जाती। 🚶‍♀️🐄
शाम को लौटने के समय वह अचानक फिर से झुंड में मिल जाती।

ऐसा कई दिनों तक हुआ।
आखिरकार रामा ने निश्चय किया कि आज वह गाय सूर्य का पीछा करेगा। 👀🚶

🐄 चमत्कारिक दृश्य और गोगा जी का प्रकट होना ✨

गांव के एक बुजुर्ग ग्वाले लखी ने देखा कि एक गाय रोज़ की तरह घरक टीले की ओर जा रही है और रामा उसके पीछे दौड़ रहा है। बुजुर्गों की कथाओं के अनुसार, यह वही स्थान था जहाँ गोगा जी धरती में समा गए थे

कुछ ही क्षण बाद, लखी ने देखा कि घबराया हुआ रामा हांफते हुए उनकी ओर भागा चला आ रहा है। लखी ने पूछा —
👉 “क्या हुआ बेटा? इतने घबराए क्यों हो?”

रामा ने कांपती आवाज़ में कहा —
🌟 “गाय का पीछा करते-करते मैंने देखा कि वह गोरख टीले पर जाकर एक जगह रुक गई। अचानक धरती फट गई और उसमें से कोई बाहर निकला। तभी गाय के थनों से अपने आप दूध की धार बह निकली और वह व्यक्ति दूध पीने लगा।”


👀 अद्भुत घटना का साक्षात्कार

लखी को रामा की बात पर यकीन नहीं हुआ। अगले दिन रामा ने लखी समेत गांव के अन्य बुजुर्गों को भी वहां ले गया।
🌳 सभी लोग पेड़ की ओट में छिपकर खड़े हो गए।

जैसे ही गाय उसी स्थान पर पहुंची, अद्भुत दृश्य सामने आया —
🌍 धरती फटी, और गोगा जी स्वयं प्रकट हुए
🐄 गौ माता ने आगे बढ़कर गोगा जी को दूध पिलाया।

यह चमत्कार देखकर सभी लोग हक्के-बक्के रह गए। उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।


🙏 जाहरवीर गोगा जी महाराज की पहचान

गांव के बड़े-बुजुर्गों को तुरंत समझ आ गया कि यह कोई और नहीं बल्कि साक्षात् जाहरवीर गोगा जी महाराज हैं।
सभी ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और मन ही मन क्षमा मांगी।

इसके बाद वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया।
🏛️ यह प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी में स्थित है, जो चूरू जिले के ददरेवा मंदिर से लगभग 92 किमी दूर है।

🌸 गोगा जी की पूजा में सभी धर्मों की आस्था 🌸

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गोगा जी महाराज के मंदिर में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है 🙏।

गोगा जी का जन्मस्थान दत्त खेड़ा (ददरेवा) में स्थित मंदिर को शीर्ष मेड़ी कहा जाता है, वहीं उनके समाधि स्थल गोगामेड़ी के मंदिर को धुरमेड़ी कहा जाता है।

अफवाहों के कारण शीर्ष मेड़ी को कई बार शीश मेड़ी बोलकर सर कटने जैसी भ्रांतियाँ फैलाई गई हैं ❌। जबकि सच्चाई यह है कि ‘शीर्ष’ का अर्थ सर्वोच्च और शुरुआत से है, वहीं ‘धुर’ का अर्थ मिट्टी या किसी स्थान का अंतिम छोर होता है।

👉 इसी वजह से गोगा जी के जन्म स्थान को शीर्ष मेड़ी और समाधि स्थल को धुर मेड़ कहा गया है।


🌼 गोगा जी: सभी धर्मों के लिए श्रद्धा का प्रतीक 🌼

केवल हिंदू और मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सिख और ईसाई समुदाय के लोग भी गोगामेड़ी को समान रूप से श्रद्धा का केंद्र मानते हैं ✨।

गोगामेड़ी में जाहरवीर गोगा जी महाराज की पूजा करने वाले पुजारी चायल मुसलमान हैं, जो स्वयं गोगा जी के वंशज हैं।
वे चौहानों की चायल शाखा से आते हैं और आज उन्हें कायमखानी मुस्लिम कहा जाता है 🤝।

⚔️ गोगा जी की वंशावली और इतिहास

लेकिन आखिर यह सब हुआ कैसे? 🤔
भाट द्वारा प्रमाणित गोगा जी की वंशावली कुछ इस प्रकार है –

👉 गोगा जी → बैरसी → राव उदयराज जी → राव हरराज जी → राव विजयराज जी → राव पिथो जी → राव लालो जी → राव गोपाल दास → राव जैतसी → राव रूपाल जी → राव तहत पाल जी → राव मोटे राय जी।


👑 राव मोटे राय जी के पांच पुत्र

राव मोटे राय जी के कुल पाँच पुत्र हुए — कायमसी, जबरदे, भोजराज, जिनदे और जगमाल
इनमें से केवल जगमाल को छोड़कर बाकी चारों पुत्रों को इस्लाम धर्म में परिवर्तित कर दिया गया।
कायमसी, जिन्हें करमचंद भी कहा जाता है, 

कायम सिंह के वंशज ही आगे चलकर कायमखानी मुस्लिम कहलाए।
📌 विशेष बात यह है कि कायमखानी मुस्लिम ही नहीं बल्कि बाकी मुस्लिम भी गोगा जी की पूजा करते हैं।


🌟 गोगा जी बने "जाहिर पीर"

अब सवाल यह उठता है – आखिर ऐसा क्यों?
दरअसल, युद्ध के समय गोगा जी को एक ही समय पर अलग-अलग जगह युद्ध करता देखकर महमूद गजनवी चकित रह गया।
इसी कारण उसने गोगा जी को "जाहिर पीर" की उपाधि दी। 🏹🐎


🛕 गोगा जी का मंदिर और तुगलक का प्रसंग

गोगा जी के धरती माता की गोद में समा जाने के बाद वहाँ एक छोटा-सा मंदिर बना दिया गया।
कुछ समय पश्चात फिरोज शाह तुगलक, हिसार होते हुए सिंध प्रदेश को जीतने निकला।

रात्रि के समय तुगलक अपनी सेना सहित गोगामेड़ी में रुका।
तभी उसकी सेना ने देखा – हाथ में मशाल लिए घोड़े पर सवार एक वीर योद्धा, विशाल सेना के साथ आगे बढ़ रहा है।
यह देखकर तुगलक की सेना में हाहाकार मच गया 😱🔥


🙏 गोगा जी का चमत्कार

घबराए तुगलक को स्थानीय धार्मिक विद्वानों ने गोगा जी के बारे में बताया।
इसके बाद लौटते समय फिरोज शाह तुगलक ने गोगामेड़ी में एक मस्जिदनुमा मंदिर का निर्माण करवाया।

यहीं से गोगा जी न केवल हिन्दुओं बल्कि मुसलमानों के भी आस्था केंद्र बन गए। 🕌✨


🏰 मंदिर का जीर्णोद्धार

बाद में, गोगा जी के मंदिर का जीर्णोद्धार बीकानेर के महाराज गंगासिंह के शासनकाल (1887 ई.) में किया गया।

⚜️ विभाजन के समय खांजाद में से ज्यादातर लोग पाकिस्तान चले गए और आज भी वहाँ सिंध के दक्षिणी हिस्से में गोगा जी की आस्था देखने को मिलती है।

🙏 राजस्थान के लोक देवता गोगा जी महाराज 🙏

आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान का शायद ही कोई ऐसा गांव या शहर होगा जहां गोगामेड़ी अर्थात गोगा जी का मंदिर ना हो।

🌸 राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सद्भावना के प्रतीक गोगा जी राजस्थान के लोक देवता माने जाते हैं।

लेकिन गोगा जी की पूजा केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि:

✨ संपूर्ण राजस्थान
✨ हिमाचल प्रदेश
✨ हरियाणा
✨ उत्तराखंड
✨ पंजाब
✨ उत्तर प्रदेश
✨ जम्मू
✨ गुजरात

में भी उनकी अटूट श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।


भाग 10👉🏼

भाग 10 में आप जानेगे सहारनपुर की पावन गाथा – जाहरवीर गोगा जी महाराज। 

<- भाग १ 

🌸 "हमारे ब्लॉग को अपना अमूल्य समय और प्रेम देने के लिए हम हृदय से आभारी हैं।
यदि आपको यह ज्ञानवर्धक और रहस्यमय जानकारी पसंद आई हो, तो हमारे ब्लॉग को नियमित रूप से पढ़ते रहें।
और भी अद्भुत आध्यात्मिक विचारों और रहस्यों को जानने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।
साथ ही हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करके इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनें।"
 
🌸

****************************************

Comments

बच्चों की चित्रकला