3. मां चंद्रघंटा

 

🌙🔔3. मां चंद्रघंटा की कथा और महत्व 🔔🌙

🙏 परिचय

नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा की चंद्रघंटा स्वरूप में पूजा की जाती है।

  • इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की स्वर्णिम घंटा सुशोभित है।

  • इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

  • इनका रूप सौंदर्य, शांति और शक्ति का अद्भुत संगम है।


📖 कथा

देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चलता रहा।

  • असुरों का स्वामी महिषासुर था, जिसने देवताओं को पराजित कर स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया।

  • देवता निराश होकर त्रिदेव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुँचे।

  • देवताओं की व्यथा सुनकर त्रिदेव के क्रोध से प्रचंड ऊर्जा उत्पन्न हुई, जो देवताओं की शक्ति से मिलकर एकत्र हुई।

  • उसी ऊर्जा से एक दिव्य देवी प्रकट हुईं।

देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए:

  • भगवान शंकर ने त्रिशूल

  • भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र

  • इंद्र ने अपना वज्र और ऐरावत से घंटा

  • सूर्य ने तेज और तलवार

  • सवारी के लिए उन्हें सिंह (शेर) मिला।

मां चंद्रघंटा ने महिषासुर और उसकी असुर सेना से भयंकर युद्ध किया।

  • उन्होंने दानवों का संहार कर दिया।

  • महिषासुर का वध कर स्वर्गलोक देवताओं को वापस दिला दिया।

  • इस प्रकार देवताओं को भयमुक्त कर अभयदान प्रदान किया।


🗡️ स्वरूप

  • वाहन: सिंह (शेर)

  • हाथ: दस भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र

  • मस्तक पर: अर्धचंद्र आकार की स्वर्णिम घंटा

  • रूप: तेजस्वी, वीर और करुणामयी


✨ महत्व

  • मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन होती है।

  • इनकी उपासना से भय, रोग और शत्रु का नाश होता है।

  • धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा से जातक की जन्मपत्री का शुक्र दोष समाप्त होता है।

  • इनकी कृपा से घर-परिवार में शांति और सुख-समृद्धि आती है।


🕉️ मंत्र और अर्थ

मंत्र

"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥"

अर्थ

हे माता चंद्रघंटा!
आपको प्रणाम है। आपके आशीर्वाद से भक्त निर्भय होता है, जीवन से सभी विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-शांति प्राप्त होती है।

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